ये आज की नारी है बंधु , सब कुछ ये कर जाएगी। उड़ने को दो पंख अगर, छूकर आसमाँ आयेगी, गर्तो में दो चाहे डुबा , चुनकर मोती लाएगी, ये आज की नारी है बंधु ,सब कुछ ये कर जाएगी।…
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कहाँ थी तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था, आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था | चोट खाकर जब मैं आती थी, तुमने इक फूँक से दर्द उतारा था, कहाँ थी तुम जब खून बहा…
भागते है रास्ते या भागता है इंसान, कुछ समझ नहीं आता, क्या चाहता है इंसान | वक़्त के दरख़तों पर यादें कईं कईं है, कुछ पड़ी धुँधली कुछ यादें नयी नयी है, आशाओं के पुलिंदे फिर भी बांधता है इंसान,…