मेरे आँगन की चिड़िया फुदक फुदक कर मुझे रिझा गयी, आज वो उड़कर अपनी नयी दुनिया बसा गयी | बचपन मैं वो जो खेलती गुड़िया से मेरी गुड़िया थी, हाथों मैं उसकी खनकती कई कई चूड़ियां थी, खनखनाती वो कंगना…
मेरे आँगन की चिड़िया फुदक फुदक कर मुझे रिझा गयी, आज वो उड़कर अपनी नयी दुनिया बसा गयी | बचपन मैं वो जो खेलती गुड़िया से मेरी गुड़िया थी, हाथों मैं उसकी खनकती कई कई चूड़ियां थी, खनखनाती वो कंगना…