कहाँ थी तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |
चोट खाकर जब मैं आती थी,
तुमने इक फूँक से दर्द उतारा था,
कहाँ थी तुम जब खून बहा इतना सारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |
आयी थी तुम पर कर दी थी देर आने मैं,
तब तक डॉक्टर भी, मेरे जीवन से लड़ कर हारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |
बस अब इतना तू कर देना माँ,
पूछ लेना उस अंकल से, मैंने उसका क्या बिगाड़ा था ,
जो उसने मुझ को मारा था,
कहाँ थी तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |
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Wah kya baat hi
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Very beautiful Kavita…
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Apki yeh kavita aj k halat aur haal bayan krti hai un bacho k dil ka jo is taklef se guzre hai aur guzar rahe hai. Very well written ma’am.
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Very nice 😘
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👌👌👌👌
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