मेरे आँगन की चिड़िया फुदक फुदक कर मुझे रिझा गयी,
आज वो उड़कर अपनी नयी दुनिया बसा गयी |
बचपन मैं वो जो खेलती गुड़िया से मेरी गुड़िया थी,
हाथों मैं उसकी खनकती कई कई चूड़ियां थी,
खनखनाती वो कंगना अपने साजन के घर गयी,
आज वो उड़कर अपनी नयी दुनिया बसा गयी |
यादें है उसकी दिल मैं आँचल मैं प्यार है,
खुशियों से भरा उसका घर संसार है,
दुआएं ये उसके लिए मेरी पलकें भीगा गयी,
आज वो उड़कर नयी दुनिया बसा गयी,
मेरे आँगन की चिड़िया फुदक फुदक कर मुझे रिझा गयी |
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Kavita Tanwani
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So meaningful and loving for all daughters
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